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जाने आयुर्वेद की विशिष्ट शाखाओं के बारे में।

आयुर्वेद की शाखाएँ-

आयुर्वेद को 8 शाखाओं में वर्गीकृत किया गया है।

🌱काया चिकित्सा (दवा) – चयापचय संबंधी विकारों (Metabolic Disorders) और सामान्य बीमारियों जैसे मधुमेह, जोड़ों का दर्द, अस्थमा, टीबी, बुखार आदि का उपचार खाने की दवाओं एवं उपचारों (Therapies) के माध्यम से।

🌱शल्य चिकित्सा (सर्जरी) – इसमें शल्य चिकित्सा की प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है जैसे फ्रैक्चर, ट्यूमर, प्लास्टिक सर्जरी आदि।

🌱शलाक्य (ENT) – गर्दन से ऊपर के शरीर के अंगो में रोगों का उपचार।

🌱भुत चिकित्सा (मनोचिकित्सा) – मनोवैज्ञानिक विकारों का उपचार, मंत्र चिकित्सा।

🌱कुमारभृत्य (बाल रोग) – बच्चे और मां से संबंधित देखभाल और स्वास्थ्य संबंधी समस्यायों का उपचार।

🌱 अगद तंत्र (विष विज्ञान) – विभिन्न विषों, विषैले तत्वों, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण का अध्ययन और उपचार।

🌱रसायन (कायाकल्प और Immunomodulator) – दीर्घायु, युवावस्था, सुखद बुढ़ापा, रंग, स्मृति और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए।

🌱 वजीकरण (कामोद्दीपक उपचार) – प्रजनन और प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए।

😊मुझे यकीन है कि आप में से कई लोग आयुर्वेद की उपरोक्त शाखाओं📜 के बारे में जानकर आश्चर्यचकित होंगे। हाँ लगभग 5000 साल पहले ये सभी शाखाएं आयुर्वेद के विशेषज्ञ अंग थे। ये आधुनिक विज्ञान की खोज नहीं हैं। यहाँ तक कि इनमे विशिष्ट रसायन शाखा 😇 भी अलग से है जो किसी अन्य चिकित्सा प्रणाली में नहीं है।

👉आयुर्वेद का पहला लक्ष्य स्वस्थ व्यक्ति (निवारक/रोधक) के स्वास्थ्य को बनाए रखना है और फिर दूसरा उद्देश्य बीमारी (उपचारात्मक) का इलाज करना है।
😇शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उचित खान-पान, सोच और आदतें महत्वपूर्ण हैं जिसके लिए आयुर्वेद में दैनिक दिनचर्या🌄, मौसमी दिनचर्या 🎡और सदवृत्त 🧘‍♀️का वर्णन किया गया है।
🌞दूसरा उद्देश्य (बीमारी का इलाज) पूरा करने के लिए इन 8 शाखाओं का वर्गीकरण किया गया है।
🌞इन सभी शाखाओं में रोगों के उपचार के तरीकों के साथ-साथ रोगों को रोकने के उपाय भी हैं।

👉 अगली बार यदि आप किसी रोग का विशेष उपचार चाहते हैं, तो आयुर्वेद आपकी पहली पसंद होना चाहिए।

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