एयर कंडीशनर का स्वस्थ्य पर प्रभाव
🌷आजकल एयर कंडीशनर का उपयोग ज्यातातर सभी कार्यालयों, कारों, शॉपिंग मॉल, घरों, थिएटरों, स्कूलों,फ्लाइट्स, ट्रेनों और बसों में हर जगह किया जाता है।
🌷 कई बार इनका उपयोग पूरे वर्ष किया जाता है, चाहे मौसम कोई भी हो।
🌷हम शायद ही ध्यान देते हैं कि एसी हमारी सेहत पर कैसे प्रभाव डाल रहा है।
🌷 एयर कंडीशनर्स तकनीकी हैं जो हमें गर्म दिनों के दौरान आराम देने के लिए हैं लेकिन अब वे हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गए हैं इसलिए हमें पता होना चाहिए कि वे हमें कैसे प्रभावित कर रहे हैं।
🌷एसी के लगातार और लंबे समय तक इस्तेमाल के कारण आप कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं ।
🤔एयर-कंडीशनर हमें कैसे प्रभावित करते हैं?
👉एयर कंडीशनर हवा और हमारे शरीर दोनो को शुष्क बनाता है ।
एसी के लगातार इस्तेमाल से निम्न समस्याएं हो सकती हैं
👉यह सूखापन और ठंडक के कारण वात और कफ को असंतुलित करता है जो 100 से अधिक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं दे सकते है।
👉त्वचा पर प्रभाव
🌱 त्वचा शुष्क और परतदार हो जाती है ।शुष्क होने से खुजली होती है और झुर्रियाँ जल्दी दिखाई दे सकती हैं।
चर्म रोगों का खतरा बढ़ जाता है और अगर आपको पहले से ही त्वचा संबंधी कोई समस्या है तो यह और भी बढ़ जाती।
👉 बहुत ठंड के कारण कपकपी होती है रोमछिद्र बंद हो जाते है,मासपेशिया अकड़ जाती है।
👉एसी पसीना आने से रोकता है,इससे पसीने के माध्यम से निकलने वाले टॉक्सिन शरीर से निकल नही पाते और कई बिमारियो का कारण बनते है।किडनी और हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
👉 आंखें शुष्क हो जाती हैं।
👉एसी नाक का श्लेष्मा सुखा देता है जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
सर्दी, जुखाम,राइनाइटिस, सांस लेने में तकलीफ आदि श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है और पहले से है तो बढ़ जाती है।
👉Ac स्थान बंद होता है जिससे वायु परिसंचरण की कमी होती जो वायरस आदि के संक्रमण को फैलने में मदद करता है एक व्यक्ति का संक्रामक रोग दूसरो को होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
👉शरीर की बदलते तापमान के अनुसार खुद को ढालने की शक्ति कम हो जाती है।लगातार एसी में रहने वाले गर्मी सहन नही कर पाते है थोड़ी भी गर्मी में उनकी सांस फुलने लगती है।
👉यह जोड़ो के दर्द का कारण बन सकता है और यदि आपको पहले से ही गठिया है तो दर्द को बढ़ा सकता है ।
👉लगातार एसी में रहने से व्यक्ति थकान, सुस्ती और बीमार महसूस करता है।
👉 शरीर में दर्द रहता है।
👉बाल रूखे, बेजान और कमजोर हो जाते हैं। डैंड्रफ की समस्या रहती है।
👉मौसम के अनुसार खाने की समझ एसी के कारण खो जाती है क्योंकि गर्मियों में स्वाभाविक रूप से हल्का, कम तैलीय, मीठा, रसदार चीजें खाने की इच्छा होती है लेकिन एसी के ठंडे तापमान के कारण लोग गर्मियों में भी भारी और तला हुआ खाना खाते हैं। मौसम की आवश्यकता के विपरीत भोजन करते है।
👉लगातार ठंडे तापमान के कारण पानी कम पीते हैं अन्यथा गर्मियों में अधिक पानी पीने में आता हैं।
👉 इम्यूनिटी कम हो जाती है।
👉 छोटे बच्चो को भी लगता एसी में ना रखे ।
👉 एसी रूम से एकदम से गर्मी मे जाना या बहुत गर्मी से एकदम से एसी रूम में आना दोनो ही स्थितियों में शरीर पर अनावश्यक तनाव पड़ता है क्योंकि तापमान में अचानक बदलाव से शरीर को कम समय में अत्यधिक ज्यादा या कम तापमान के अनुकूल होना पड़ता है। इसलिए तापमान में अचानक बदलाव से बचें। इससे त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं।
👉 एसी वतावरण में व्यायाम करना भी ठीक नही है।
👉कृत्रिम ठंड से भूख बढ़ती है जिससे वजन बढ़ता है जबकि गर्मी वजन कम करने का समय है।
👉 इसकी लत हो जाती है जितना अधिक हम एसी में रहते हैं उतना अधिक हम एसी में रहना चाहते हैं
👉 एयर कंडीशनर का प्रयोग पर्यावरण के लिए भी अच्छा नहीं है।
👉 यह मंहगा होता है और बिजली के बिल को भी बढ़ा देता है।
🤔यह किस स्थिति में उपयोगी करना चाहिए?
👍यह उच्च पित्त वाले व्यक्ति या गर्म जलवायु में अत्यधिक शरीर की गर्मी वाले व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
👍यह जलन, गर्मी के कारण खून बहने की स्थिति में उपयोगी है।
🧐एसी के उपयोग को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
✅घर के आस पास ऊँचे , बडे़ पेड़ लगाए ।
✅घर में सुगंधित फूल रखे ।
✅ खस के पानी में कपड़े की चादर को भिगोकर खिड़कियों के ऊपर लगाए।
👉बहते पानी के फव्वारे लगवाए
👉चंद्रमा की रोशनी में घूमे या सोए
👉चंदन का पेस्ट लगाए।
👉 फूलों ,मोती या चंदन की माला धारण करें।
👉पतले और हल्के रंग के कपड़े पहने
👉साबुन का प्रयोग सीमित करें।
एसी के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए क्या करे?
✅एसी कम इस्तेमाल करने की कोशिश करें केवल तभी उपयोग करें जब अत्यधिक गर्मी हो।
✅शरीर को ढक कर रखे ।
✅ रोज नहाने से पहले तेल मालिश करे ।
✅नाम में सुबह घी या तेल की 2-2 बूंद डाले
✅खाने में घी का उपयोग करे
✅एसी 26 डिग्री तापमान पर चलाए ।
🌺आपने शरीर को अत्याधिक ठंडे तापमान में लगातार रहकर बीमारियां ना दे ,प्रकृति के अनुसार रहने दे आपका शरीर आपका आभारी होगा।🙏