कर्णपूरण नियमित करे और कई बीमारियो से बचे।


कर्ण पूरण कान के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सा है, कर्ण का अर्थ है कान और पूरण का अर्थ है भरना, जैसा कि इस चिकित्सा में नाम से स्पष्ट है कि इसमे कान को औषधीय तेल से भरा जाता है।
आयुर्वेद में इंद्रियों की रक्षा, सफाई और मजबूती पर जोर दिया जाता है।
कान सुनने और संतुलन के लिए इंद्रिय अंग है।🌺🌾

करणपूरन आयुर्वेदिक दिनचर्या का हिस्सा है, इसे रोजाना किया जाना चाहिए ताकि बीमारियों को रोका जा सके, यह निवारक चिकित्सा का हिस्सा है।

कान वात (वायु) का स्थान है और वात को नियंत्रित करने के लिए तेल लगाना सर्वोत्तम है।

करणपूरण के क्या फायदे हैं❓❓

यह कान की सफाई करता है।

विभिन्न प्रकार के ध्वनि प्रदूषण से कान की रक्षा करता है।🔊🔊

यह कान की संरचना को मजबूती और पोषण देता है।

यह कान की समस्याओं जैसे सुनने की क्षमता में कमी, कानों सिटी या अन्य आवाजे आना, कान में दर्द, कान का मैल और सूजन के इलाज में मदद करता है।

यह सिरदर्द, माइग्रेन, जबड़े में अकड़न, गर्दन में अकड़न, गर्दन में दर्द, चक्कर आना, बदन दर्द, अवसाद और नींद न आने की समस्याओंको ठीक करने में सहायक है।

यह अतिसक्रिय मन को शांत करता है।

कौन सा तेल इस्तेमाल किया जा सकता है?❓

क्षार तेलम, निर्गुंडी तेलम, बिल्व तेलम, तिल का तेल आदि

वैद्य से परामर्श करे वह आपकी जरूरत या बीमारी के हिसाब से तेल लिखेंगे।
2 -15 बूंद तेल का प्रयोग किया जाता है।

यह कैसे करना है ??,

1. सिर और गर्दन पर तेल से मालिश करें👍

2. कर्णपूरण के तेल को गर्म पानी के में रखकर गर्म करें।

3. पार्श्व स्थिति में लेट जाएं, कान के को थोड़ा पीछे की ओर खींचकर कान में तेल डालें

4. कान पर और कान के पीछे गोलाकार गति में मालिश करें। 15 मिनट तक इसी पोजीशन में रहें।

6. कॉटन बॉल को कान पर रखें और स्थिति को दूसरी तरफ बदलें।

7. दूसरे कान पर भी यही प्रक्रिया दोहराएं।

अगर आप स्वस्थ हैं तो इसे घर पर ही डेली रूटीन की तरह कर सकते हैं।

अगर आपको ऊपर बताई गई कोई भी समस्या है तो आप कर्णपूरण चिकित्सा के लिए आयुर्वेदिक केंद्र पर जा सकते हैं।

कर्णपूरण कब नहीं करना चाहिए?❓

यदि कान पर कोई चोट, कट, घाव या जलन हो, यदि कान का परदा फट गया हो तो करणपूरन नही करना है।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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