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🌱 कवल (Oil PULLING)
आयुर्वेद में मुंह के स्वास्थ (सफाई) पर अत्यधिक महत्व दिया गया है और इसके लिए टहनियों🌳या हर्बल पाउडर से दांत साफ करना, जीभ साफ करना, कवल और गंडुष करने की सलाह दी गई है।
कवल एक प्रक्रिया है जिसमें तेल, घी या अन्य तरल पदार्थों का (आवश्यतानुसार बताए गए) उपयोग करके गरारा (Gargle) किया जाता है। इसे दैनिक आधार पर किया जाना चाहिए।👍
इसके उपयोग अथवा लाभ
👉दातों और जबड़े को मजबूत बनाता है।💪
👉दंतक्षय और पट्टिका (Dental Caries and Plaque) को रोकता है।
👉मीठी या खट्टी चीजें खाने पर दांतों की संवेदनशीलता (Sensitivity) को कम करता है।😀
👉 मुंह में छाले को ठीक करने के साथ ही रोकता भी है।🏵️
👉अत्यधिक लार टपकने को ठीक करता है।🤤
👉 मुंह के सूखेपन को दूर करता है।🌻
👉 गले के सूखेपन को मिटाता है।🍂
👉 मुंह खोलने में होने वाली तकलीफ😫को ठीक करने में मदद करता है। चहरे का भारीपन दूर करता है।
👉 सूखे और फटे होठों को ठीक करता है।😖
👉 स्वाद में सुधार करता है और क्षुधानाश (Anorexia) का इलाज करता है।😋
👉 आवाज की गहराई में सुधार करता है। गायकों के लिए अच्छा है।🎶📢
👉जी मिचलाना, उबकाई आना में उपयोगी है।🤮
👉 बिना कुछ किए होने वाली थकावट को दूर करता है। 🥴
👉सिर, गर्दन, कान, आंख, गले और मुंह की समस्याओं में उपयोग किया जाता है।
🌼 इसको कैसे करना चाहिए??
दांतों को ब्रश करने के बाद, 1 बड़ा चम्मच तेल (तिल, नारियल, इरमेवदी, सन्ध्यादि आदि का) मुँह में डाले और उसे मुंह के चारो ओर अर्थात साइड में और आगे पीछे घुमाते रहे। 10 -15 मिनट (20 मिनट से अधिक नहीं) ऐसा करने के बाद तेल को थूक देवे और गर्म पानी से कुल्ला करें।
इसको कब करना चाहिए??
सुबह खाली पेट
कावल के लिए क्या उपयोग में लेना चाहिए??
🌷स्वस्थ परिस्थिति में – तिल या नारियल का तेल।
🌷जलन में – दूध या घी
🌷मुंह में छाले हो तो – शहद 🍯
🌷चिकनेपन (Sliminess) में – शहद, उबला पानी या त्रिफला का पानी।
🌷अलग अलग जड़ी बूटियों के काढ़े भी आवश्यकता के अनुसार उपयोग में लिए जाते है।