☃️ सर्दियों के मौसम में 2 ऋतु हेमंत और शिशिर होती है। प्रत्येक ऋतु में 2 महीने होते हैं।
☃️हेमंत ऋतू में मार्गशीर्ष और पुष्य माह शामिल होते हैं जो नवंबर के मध्य से जनवरी के मध्य तक रहते है।
☃️शिशिर ऋतु (माघ और फागुन) जो जनवरी के मध्य से मार्च के मध्य तक होती हैं।
☃️आयुर्वेद कहता है कि सर्दी वह समय है जब शरीर की शक्ति और पाचन अग्नि अधिकतम होती है।😍
☃️यह रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) को बेहतर बनाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है😀 क्योंकि पाचन शक्ति अधिकतम होती है😋 जिससे पोषक तत्वों को आत्मसात करना आसान बनता है। लेकिन बदलते मौसम को समायोजित करने के लिए आहार और जीवनशैली को अनुकूलित करना महत्वपूर्ण है, इसे आयुर्वेद में ऋतुचर्या कहा जाता है।👍 जिसे हमें स्वस्थ रहने के लिए और मौसमी परिवर्तनों का आनंद लेने के लिए पालन करना चाहिए।🤗
☃️सर्दियों की शुरुआत से ही पित्त कम होने लगता है और कफ दोष (सांस से संबंधी रोगों की समस्या) प्रमुख हो जाता है। लेकिन सूखेपन, हवा और सर्दी/ठंडी के कारण वात भी बढ़ जाता है, जिसके कारण कब्ज, फटी त्वचा, ठंडे हाथ, ठंडे पैर, सुस्ती, उदासी और अवसाद हो सकता है।🙄
🤔सर्दियों में किस प्रकार का भोजन करना चाहिए??🌺
👉क्युकी सर्दियों में पाचन अग्नि अधिकतम होती है इसलिए इस मौसम में भारी भोजन और यहां तक कि बड़ी मात्रा में भोजन को भी पचा सकते है, इसलिए सर्दियों में अपने आप को भूखा ना रखे क्युकी ईंधन (भोजन) की अनुपस्थिति में मजबूत पाचन अग्नि शरीर के ऊतकों को नष्ट कर सकती है।👍👌
👉इसीलिए हम देखते हैं कि ज्यादातर त्यौहार सर्दियों के दौरान ही आते हैं जैसे दिवाली, क्रिसमस, ईद अतः उपवास से बचें और त्योहारों का भरपूर आनंद लें।😀
👉मीठा, खट्टा, नमकीन स्वाद के भोजन का सेवन करे (इनमे कफ और वात प्रमुख होता है) और कड़वा, तीखा, कसैला स्वाद वाले भोजन का कम/थोड़ा सेवन करे।✅
👉खाने में घी और तेल शामिल करें, सूखे भोजन के सेवन से बचें।✅
👉कच्चे भोजन, सलाद के सेवन से बचें।❌
👉ठंडा भोजन और पेय लेने से बचें।❌
👉गर्म, घर का बना खाना ही खाए।🌿
👉भोजन में अदरक, तुलसी, काली मिर्च, दालचीनी, इलायची, जीरा, लौंग, त्रिकटु (पिप्पली, सौंठ, मरिच) शामिल करें। ये खांसी और जुकाम से भी बचाते हैं।🌺
👉गर्म सब्जियों जैसे मूली, गाजर, पालक और अन्य मूल/जड़ सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करे।🌷
👉आहार में मौसमी फल और मेवों (Dry Fruits) को शामिल करें।🌷
👉शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति और ताकत को बेहतर बनाने के लिए च्यवनप्राश, ब्रह्मरसायन, अमृतारिष्टम, द्रक्षारिष्टम, दशमूलारिष्टम आदि जैसे रसायनों के सेवन के लिए सबसे अच्छा समय है।🌷
🤔सर्दियों में क्या दिनचर्या होनी चाहिए?
🌺सर्दियों में आपको थोड़ा धीमी गति से काम करना चाहिए, अपने शरीर और दिमाग को आराम देना चाहिए। 🤗
🌺रात में थोड़ा अधिक सोए क्योंकि दिन छोटे होते हैं। दिन में सोने से बचें। रोजाना एक ही समय पर सोएं और निश्चित समय पर जागें। 😴😃
🌺दांतों को ब्रश करने और जीभ के मैल को साफ करने के लिए तिल के तेल को का उपयोग करे।😁
🌺गर्म पानी से चेहरा धोएं। 😊
🌺 गर्म तिल के तेल, धनवंतरी तेल, महानारायण तेल या क्षीरबाला तेल से अभयंग (मालिश) करे। ✅
🌺गर्म पानी से स्नान करें। बहुत ठंडे या बहुत गर्म पानी का उपयोग न करें।👍
🌺नथुनों में तेल की बूंदे डाले।👃
🌺यह वह समय है जब पूरी ताकत से और लंबे समय तक व्यायाम किया जा सकता है अन्यथा अन्य ऋतुओं में आयुर्वेद केवल आधी ताकत तक व्यायाम करने का सुझाव देता है। ⛹️♀️🤸♂️🤼♂️🚴♀️🧘♂️
✅नियमित योग, प्राणायाम और ध्यान करें।
✅सूर्य के प्रकाश में समय बिताए इससे रक्तचाप में होने वाले उतार-चढ़ाव भी रुकेगा।
✅घर पर भी चप्पल (Foot Wear) पहने।
✅उचित मात्रा में भोजन करना चाहिए। अगर कोई सर्दियों में कम खाता है तो वह वात असंतुलन के कारण गैस्ट्राइटिस, पेट फूलना, शूल और शरीर में दर्द जैसी समस्यायों से ग्रसित हो सकता है।
✅वात के कारण सर्दियों में त्वचा शुष्क/सूख जाती है इसलिए तेल की मालिश और घी का सेवन सूखेपन से राहत देता है।
✅फटी एड़ियों पर घी या तेल लगाए।
✅फटे होठों पर घी, शतधातु घी, कुमकुमादि तेल या इलादी तेल का उपयोग करें।
😊ऊपर बताए गए बिंदुओ का पालन करने से आप ना केवल अपने आप को मौसमी असंतुलन के लिए तैयार कर सकते है बल्कि मौसमी बदलाव से लाभ भी प्राप्त कर सकते है।
☃️तो सर्दियों से डरें नहीं बल्कि साल के इस समय का फायदा उठाएं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं।