🌻सैंधव लवण या सेंधा नमक आयुर्वेदमें बताए गए 5 प्रकार के नमक में से एक है।
🌼पांचो प्रकार के लवणों में यह सबसे उत्तम है क्योंकि यह तीनों दोष वात पित्त और कफ को शांत करता है जो अन्य प्रकार के नमक नही करते है।
🌼यह उन कुछ पदार्थों में से है जिन्हें आयुर्वेद दैनिक उपयोग करने का सुझाव देता है।
🌼यह स्वाद में नमकीन होने के साथ थोड़ा मीठा भी होता है।
🌼यह शक्ति में ठंडा होता है आमतौर पर नमक तासीर में गर्म होते है इसलिए यह नियमित नमक से अलग होता है।
🌼पचने में हल्का होता है और भोजन को भी पचाने में हल्का कर देता है।
🌼नमक आमतौर पर पित्त को बढ़ाता है लेकिन सेंधा नमक पित्त दोष को संतुलित करने में मदद करता है। ️
🌼यह भोजन में स्वाद बढ़ाता है, पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख में सुधार करता है, कब्ज और सूजन से राहत देता है।
🌼यह मीठा खाने की इच्छा को नियंत्रित करता है।
🌼यह खनिजों से भरपूर होता है और हां इसमें आयोडीन भी कम मात्रा में होता है।
🌼यह अन्य नमक की तरह जलन नहीं करता है बल्कि पेट मे होने वाली जलन को शांत करता है।
🌼यह छाती की जकड़न से राहत देता है, कफ को पिघलता है और बाहर निकालता है ।इसे तिल के तेल में मिला कर छाती और पीठ पर नहाने से पहले लगाएं।
🌼यह साइनसाइटिस में उपयोगी है।
🌼यह आंखों के लिए अच्छा होता है।
🌼यह दिल के लिए अच्छा है। ❤️
🌼अत्यधिक हिचकी में पानी में सेंधा नमक मिलाकर घूंट घूंट पीने से लाभ होता है।
🌼यह मन और शरीर को आराम देता है।
🌼यह एनीमिया में उपयोगी है।
🌼यह हड्डी को मजबूत करता है।
🌼यह अत्यधिक जमा चर्बी को हटाता है।
🌼यह दांतों को सफेद करने का काम करता है।
🌼पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से मांसपेशियों की ऐंठन में जल्दी आराम मिलता है।
🌼गुनगुने पानी में सेंधा नमक के गरारे करने से गले का दर्द, गले की सूजन, सूखी खांसी, टांसिलाइटिस में आराम मिलता है और सांसों की दुर्गंध दूर होती है।
🌼यह जोड़ों की अकड़न में राहत देता है, जिसका उपयोग कई आयुर्वेदिक तेलों और औषधियों में किया जाता है।
सेंधा नमक सिर्फ व्रत में नही किन्तु नियमित खाए ।
