
🌱आयुर्वेद में निम्नलिखित प्राकृतिक वेगों (आग्रहों) का उल्लेख किया गया है, जिन्हें हमें बलपूर्वक नहीं रोकना चाहिए –
👉 डकार आना (उदगार)
👉 अपान वायु (Fart) 💨
👉 मल (Stool) निकालने का आग्रह
👉 मूत्र वित्सर्जन का आग्रह
👉 जंभाई आना
👉 नींद आना😴
👉 प्यास लगना
👉 भूख लगना 😋
👉 परिश्रम करने के बाद तेजी से सांस लेने का आग्रह होना 🥵
👉 छींक आना 🤧
👉 खांसी आना
👉 रोना आना 😢
👉 वीर्य स्खलन (Ejaculate Semen) का आग्रह
👉 उल्टी आना 🤮
🌷इन्हें अधरणिय वेग कहा जाता है। ये संकेत होते हैं जो हमारा शरीर हमे शरीर की रक्षा के लिए या इसके विषहरण (detoxification) के लिए देते हैं जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए यह हमारा काम है कि हम इन आग्रहों को होने दे और इन्हे जबरन न दबाएं या रोके।
🌷अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से इन आग्रहों को लंबे समय तक दबाता/रोकता है तो उस व्यक्ति को कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।😳 आयुर्वेद ग्रंथों 📚 में इनमे से प्रत्येक आग्रह को दबाने का प्रभाव और इसके उपचार को अच्छी तरह से समझाया गया है जैसे कि अगर हम अपान वायु (Fart)💨 को रोकते है तो इससे शरीर में वायु ऊपर की ओर जा सकती है जिसके फलस्वरूप पेट फूल जाता है पेट में दर्द होता है थकान महसूस होने लगती है मूत्र विसर्जन में बाधा होती है। दृष्टि में धुंधलापन और दिल की बीमारी भी होती है।
🌷अगर हम इन प्राकृतिक आग्रहों/वैगों को ना दबाए तो हम कई बीमारियों को अपने से दूर रख सकते हैं।👌👍
🌷कई बार जब आप नहीं समझ पाते कि आप क्यू किसी रोग से पीड़ित है तो इसका कारण इन प्राकृतिक/स्वाभाविक वेगो को रोकना हो सकता है।
🌷वही दूसरी ओर धारनिय वेग मन में आए वो आग्रह/वेग है जिन्हे स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन के लिए रोकना चाहिए। लालच🦊🤑, ईर्ष्या, घृणा, ईर्ष्या, लगाव🐶, वासना, चिंता, हीन भावना, अभिमान🦚, अहंकार 😠😡🤯 वे आग्रह है जिनको हमे जबरदस्ती रोकना चाहिए।
🌷 ये सभी आग्रह उन मानसिक समस्याओं के आधार हैं जो दीर्घकाल में गंभीर मानसिक रोगों में बदल सकते हैं और आज के समय में यह बहुत स्पष्ट भी है। 🌿आयुर्वेद शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के रूप में स्वास्थ्य को परिभाषित करता है, यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी उतना ही ध्यान केंद्रित करता है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य पर। इन आग्रहों को रोकने के लिए ध्यान लगाना (Meditation)🧘♀️😇 बहुत उपयोगी होता है।