फैटी लिवर के कारण और इसे ठीक करने के उपाय।

🌱फैटी लीवर एक ऐसी स्थिति है जहां असामान्य रूप से उच्च मात्रा में वसा यकृत में जमा होता है, यकृत सामान्य रूप से वसा भी जमा करता है, लेकिन वसायुक्त यकृत रोग में वसा कुल यकृत वजन का 5% से अधिक जमा होता है। यह एक प्रतिवर्ती स्थिति है। यह 2 प्रकार का होता है

🌱1अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग (AFLD) – अत्यधिक शराब का सेवन फैटी लीवर का प्रमुख कारण है।
2 नॉन एल्कोहलिक फैटी डिजीज (NAFLD) – मोटापा और मधुमेह इसके प्रमुख कारक हैं। उच्च रक्तचाप, ट्राइग्लिसराइड्स और निम्न एचडीएल इसके साथ जुड़े हुए हैं।

🌱लिवर फैट मेटाबॉलिज्म को संभालता है जब यह गड़बड़ा जाता है या अगर फैट जमा होने और क्लीयरेंस के बीच असंतुलन होता है तो NAFLD  होता है।

🌱यह आजकल बहुत आम हो रहा है गलत खान-पान की आदतों और दिनचर्या के कारण।

🌱अगर इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो यह लीवर की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

कारण

👉अत्यधिक शराब का सेवन।
👉वसायुक्त, ठंडा, मीठा, खट्टा, नमकीन और भारी भोजन।
👉भोजन के नियमों, दैनिक दिनचर्या और मौसमी दिनचर्या का पालन नहीं करना।

👉गतिहीन जीवन शैली, दिन की नींद और व्यायाम न करना।

👉रिफाइंड तेल का प्रयोग।

👉रिफाइंड चीनी का प्रयोग।
👉आयरन का अधिक सेवन।
👉कुपोषण और भुखमरी।
👉कुछ दवाओं जैसे एसिटामिनोफेन, गर्भनिरोधक गोलियों आदि के कारण।

👉सिंथेटिक विटामिन का उपयोग।

👉कुछ महिलाओं में यह गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है।

👉मधुमेह के कारण।

🌼फैटी लिवर के लक्षण

🌱इसके लक्षण तब प्रकट होते हैं जब स्थिति कभी-कभी बहुत खराब  हो जाती है। इसका आमतौर पर अन्य रोगों के डायग्नोसिस के दौरान पता  चालता है।

👉पेट के दाहिनी ओर दर्द

👉मतली और उल्टी

👉भूख न लगना, कमजोरी।

👉थका हुआ महसूस करना

👉खराब एकाग्रता, खराब निर्णय और भ्रम।

👉लगभग सभी बीमारियों की शुरुआत कमजोर लीवर फंक्शन से होती है।

🌼आहार और जीवन शैली

🌺रोटी, आलू, चावल और मक्का जैसे अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट का सेवन सीमित करें।

🌺शराब, चीनी युक्त पेय जैसे फलों का रस, एनर्जी ड्रिंक, दही, तिल,उड़द की दाल, दूध के बने मीठे पदार्थ और मांस  का सेवन नही करे।

🌺करेला, लौकी, हल्दी , मेथी दाना, एलोवेरा, मोरिंगा, सहजन, नीम, जौ, मूंग दाल, कुलथी, परवल, काली मिर्च और गर्म पानी का उपयोग करें।

🌺आहार में सूरजमुखी के बीज, अलसी (अलसी का तेल नहीं), लहसुन, सोंठ, दालचीनी, इलायची, जीरा और आंवला शामिल करें।

🌺नियमित व्यायाम करे।

🌺आयुर्वेदिक दैनिक दिनचर्या और मौसमी दिनचर्या का पालन करें।

🌼उपचार

👉त्रिफला काढ़ा – त्रिफला को1 गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी 1/4 न रह जाए, इसे छानकर इसमें शहद मिला लें, इस कषाय को दिन में दो बार भोजन से पहले लें।

👉गिलोय का काढ़ा – त्रिफला के काढ़े में बताए अनुसार गिलोय के काढ़े को भी तैयार करें, इस कषाय को शहद के साथ दिन में दो बार लें।

👉आंवले का रस हल्दी पाउडर के साथ ले।

👉पिप्पली के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में दो बार।

👉भूमिमलकी, पुनर्नवा, भृंगराज, कुटकी आदि यकृत के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियाँ हैं।

👉उचित आयुर्वेदिक उपचार लें।

🤔आधुनिक विज्ञान में फैटी लीवर की स्थिति का इलाज क्यों नहीं है?

👉चूंकि लगभग सभी दवाएं लीवर के लिये घातक होती हैं, इसलिए वे लीवर को ठीक करने में सक्षम नहीं होती हैं।

🌱फैटी लिवर की स्थिति को नजरअंदाज ना करे और इसका पता चलते ही आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श करे क्योकि सिर्फ आयुर्वेदिक आहार,विहार और औषधि ही इसे ठीक ककरने में सक्षम है।🌱🌱

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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