क्या गर्म मौसम में प्यास बुझाने के लिए अत्यधिक ठंडा पानी पीना अच्छा है ??

👉आयुर्वेद में बर्फ का ठंडा पानी पीना सख्त मना है।

👉ग्रीष्मकाल में वात का संचय होता है, वात जो ठण्डी प्रकृति का होता है, उसके गुणों में समान जैसे ठण्डा पानी लेने से वात बढ़ जाता है।

👉वात बढ़ने से शरीर के अंगों में दर्द, जकड़न, सूजन, कब्ज, रूखी त्वचा, खुरदरी त्वचा, त्वचा का काला पड़ना, बालों का झड़ना, रूसी, टिनिटस, धड़कन, कंपकंपी, स्मृति हानि, आक्षेप, अस्थिर जैसे 80 प्रकार के रोग हो सकते हैं।

👉अत्यधिक ठंडा पानी पाचन अग्नि को कम कर देता है जिससे अपच हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं जो शरीर के स्त्रतासो को बंद कर देते हैं और अंततः कई बीमारियों का कारण बनते हैं।

👉उबला हुआ और प्राकृतिक रूप से ठंडा किया हुआ पानी ही इस्तेमाल करें क्योंकि यह पचने मे हल्का होता है और पाचन की आग में सुधार करता है।

👉पानी को ठंडा करने के लिए खस, गुलाब की कलियां, आंवला, चंदन, मंजिष्ठा, सौंफ, लौंग, मुलेठी आदि का प्रयोग करें, इन्हें पानी में उबालकर पानी को ठंडा होने दें, छानकर मिट्टी या चांदी के बर्तन में रख दें।
इसे रोजाना ताजा बनाएं।

👉इस प्रकार का ठंडा पानी गर्म मौसम में, मादक नशा, थकान, उल्टी, अत्यधिक प्यास, जलन, पित्त में वृद्धि, रक्त विषाक्तता और रक्तस्राव विकारों में उपयोग के लिए अच्छा है।

🤔क्या हम गर्म पानी या गर्म पानी गर्म मौसम में पी सकते हैं ??

👉वात और पित्त प्रधान व्यक्ति को गर्म मौसम में गर्म पानी से बचना चाहिए, कफ व्यक्ति या कफ विकार में गर्म पानी लिया जा सकता है।

🌷अपने नजदीकी वैद्य से जानिए आपके लिए सबसे अच्छा क्या है।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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