
अंजन रोज लगाए👁️
👉 अंजन या औषधीय काजल लगाना आयुर्वेदिक दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है। 👍
👉 इसे रोजाना दांत साफ करने के बाद लगाना चाहिए।
👉 आयुर्वेदिक काजल सिर्फ काली राख नहीं है, यह जड़ी बूटी, काढ़े आदि का संयोजन है।
👉 काजल लगाना केवल सौंदर्यीकरण के लिए नहीं है, बल्कि यह आंखों की सुरक्षा और उनके कार्यों को बनाए रखने के लिए एक सहायक एक अभ्यास है।
🙂 👉आयुर्वेद के अनुसार शरीर की ५ इंद्रियो में आंखें सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं क्योंकि उनके साथ हम अपने आस-पास की चीजों को अनुभव करते , सीखते और देखते हैं।
😍 कंप्यूटर, मोबाइल, यात्रा, धूल इत्यादि के अति प्रयोग से आंखे सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं इसीलिए अंजन उपयोग से उनकी रक्षा करना समय की मांग है। 🙏
👉भारत में नए जन्मे बचे से लेकर वृद्धों तक पुरुष , स्त्री सभी द्वारा अंजन का इस्तेमाल करने की परंपरा थी लेकिन इसके महत्व को समझे बिना और इसे सिर्फ महिलाओं के सौंदर्यीकरण के लिए उपयोगी समझे जाने के कारण अंजन का उपयोग कम हो गया हैं। 😳
👉 2 प्रकार के अंजन हैं, एक है सौवीर अंजन जो सौम्य है और इसका दैनिक आधार पर उपयोग किया जाना चाहिए, अन्य रसांजन हैं जिनका उपयोग सप्ताह में एक बार या 15 दिनों में एक बार किया जाना चाहिए।
👉 आंखे अग्नि या पित्त का स्थान है, इसके संतुलन के लिए कि मृदु अंजन का उपयोग किया जाता है , और यह कफ को संचित होने पर तीक्ष्ण अंजन का उपयोग किया जाता है। 👉अंजन आयुर्वेदिक नेत्र विज्ञान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके उपयोग से कई नेत्र विकारों को ठीक किया जा सकता है। 🤩
👉 सामान्य काजल के स्थान पर आयुर्वेदिक अंजन का उपयोग करे जो आँखों को सुंदर और
आकर्षक बनाने के साथ-साथ आँखों के लिए सुखदायक, स्वास्थ्य रखने , साफ करने और सुरक्षात्मक प्रभाव देने वाला होता है।
🌺 यदि आप काली अंजन का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी वैद्य से जाने कि क्या अन्य चीजें उपयोग कर सकते हैं।
👍 नोट- भय, क्रोध, तेज सिरदर्द, रोने और शराब के सेवन के बाद अंजन के उपयोग से बचें।