
🌷 अलग अलग स्वास्थ्य परिस्थिति में चावल बनाने (पकाने) के आयुर्वेदिक तरीके –
👉 चावल 🍚 को हमेशा खुले बर्तन में पकाएं एवं पकाने के बाद अतिरिक्त पानी को निकाल दीजिए। ऐसा करने से यह वजन नहीं बढ़ाएगा और सभी के लिए उपयुक्त होगा।✅
👉 पुराने चावल इस्तेमाल करे (कम से कम एक वर्ष)✅
👉 चावल को अच्छे से धोएं। यह चावल का धोया पानी पौधों के लिए अच्छा होता है और इसे चेहरा धोने के लिए भी इस्तेमाल किया जा यह त्वचा को मॉइस्चराइज करता है। ✅
👉 चावल पकाने के लिए प्रेशर कुकर के इस्तेमाल से बचें। ❎
👉चावल के 1 भाग के साथ 10 भाग पानी का उपयोग करें (उदाहरण: एक कटोरी चावल के लिए दस कटोरी पानी) ✅
👉चावल का पानी या मंड हटा ले। ✅
👉 चावल को ठीक से पकाएं। ✅
👉चावल को अधिक हल्का बनाने के लिए उनको पकाने से पहले हल्का भून ले। यह भुना हुआ चावल गले के विकारों, कम भूख लगना, अपच और मोटापे में उपयोगी होता है।🌞
👉 उबले हुए चावल कई बार गर्म पानी से धोया जाता है तो इससे यह अधिक हल्का होकर पचने में आसान होता है। चावल इस तरह का उपयोग मूत्र विकार, गुर्दे की पथरी और वात विकारों में किया जाता है। ✅
👉पकाएं हुए चावल में से पानी नहीं निकले तो यह पचाने में भारी होते है, पोषक होने से दुर्बल लोगोंके लिए उपयुक्त होते है। 🌱
👉 पके हुए चावल का अगले दिन उपयोग करने से शरीर में चर्बी और कफ बनता है जिससे वजन बढ़ता है और श्वसन संबंधी विकार होते हैं। 🌺
👉चावल को सब्जियों के साथ पकाकर लेना वजन कम करने में मदगार होता है। ✅
👉पित्त विकारों जैसे जलन, रक्तस्राव विकार आदि में चावल को हरे मूंग के साथ पकाकर लेना लाभकारी होता है। ✅
👉 चावल को उड़द की दाल के साथ पका कर लेने पर यह कामोद्दीपक, भारी और वात विकारों में उपयोगी होता है। ☘️
👉चावल को जब मछली के साथ पका कर लिया जाता है तो यह तीनों दोषों को बढ़ाता है, पाचन अग्नि, शरीर के चैनलों को अवरुद्ध करता है और चर्म रोगों का कारण बनता है। 🐟
👉 मीट सूप के साथ पकाने पर – उत्सर्जन और न्यूरोमस्कुलर विकार में उपयोगी होता है।
👉 पाइल्स – छाछ के साथ पके हुए चावल का उपयोग करें। 🌻
👉 पेट के कीड़े, सांस में तकलीफ – चावल को कुल्थी के साथ पकाकर लेवे।
🌷पकाने (बनाने) की विधि अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है क्युकी यह भोजन के गुणों को बदल सकती है।