छाछ पेट की समस्याओं की श्रेष्ठ दवा है और भी इसके लाभ जाने ,इसे कब ,कैसे लेना है पूरी जानकारी ।

छाछ या तक्र

🌼छाछ भारतीय भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक पेय है।

🌼आयुर्वेदिक ग्रंथों में छाछ के बारे में लिखा है कि जैसे देवताओं के लिए अमृत होता है वैसे ही छाछ मनुष्यों के लिए होती है अर्थात आयुर्वेद में इसके प्रभाव की तुलना अमृत से की जाती है।

🌼छाछ बनाने में आसान और झटपट बन जाती है, इसके लिए बहुत सारी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है।

🌼ऐसा कहा जाता है कि जो लोग नियमित रूप से छाछ का सेवन करते हैं वे कभी बीमार नहीं पड़ते क्योंकि यह पाचक अग्नि को बनाए रखने में मदद करता है और आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए संतुलित पाचन अग्नि सबसे महत्वपूर्ण है।

🌼इस स्वादिष्ट पेय के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इसका सेवन स्वस्थ स्थिति में किया जा सकता है और कई रोग की स्थिति में आयुर्वेद में बीमारी के इलाज के लिए औषधीय युक्त छाछ दिया जाता है।

🤔छाछ के गुण क्या हैं?

✅यह खट्टा, स्वाद में कसैला होता है, पाचन के बाद इसका प्रभाव मीठा होता है।
✅यह शक्ति में गर्म है
✅यह कफ और वात दोष को शांत करता है।

🤔छाछ के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?

👉यह भोजन में स्वाद को सुधारता है।
👉यह भोजन के पाचन में मदद करता है।
👉यह पचने में हल्का होता है और शरीर को भी हल्का करता है।
👉यह पोषक होती है।

👉यह भोजन से खनिजों और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करती है।
👉यह प्रोबायोटिक के रूप में कार्य करती है अर्थात आतो में अनुकूल बैक्टीरिया की संख्या को बनाए रखने में मद्दतगार है  ।यह आश्चर्यजनक है कि आयुर्वेद ने आहार में प्रोबायोटिक के महत्व को बहुत पहले ही पहचाना लिए था।

👉छाछ अच्छी तरह से गठित मल को बनाने में मदद करती है।

👉यह पेट की समस्याओं में सर्वश्रेष्ठ है।☘️

👉भोजन के बाद  संतुष्टि की भावना देती है जिससे अत्यधिक खाने से बचते है।

👉शरीर के अवरुद्ध स्रोतासो को  खोलने में मद्दत करती है ।

👉अत्यधिक घी युक्त या तैलीय  भोजन करने के बाद छाछ जरूर ले।

👉यह स्वस्थ वजन को बनाए रखने में मदद करती है इसलिए स्वस्थ स्थिति में,कम वजन वाले या  अधिक वजन वाले हर कोई इसका सेवन कर सकता है।

👉इसका उपयोग आयुर्वेद में तक्रधारा के लिये और सेक लिए भी किया जाता है।

👉यह कामोद्दीपक है।

🤔ऐसी कौन सी अन्य स्थितियां हैं जिनमें छाछ को आहार में शामिल किया जाना चाहिए?

✅सूजन
✅दस्त, आईबीएस
✅बवासीर
✅एनीमिया
✅तिल्ली की सूजन
✅भोजन के बाद भारीपन
✅पुराना बुखार
✅मतली, उल्टी
✅शुष्क मुँह
✅शरीर में दर्द
✅वजन कम करने के लिए
✅यूरिन पास करने में परेशानी होना
✅हार्ट टॉनिक
✅उच्च कोलेस्ट्रॉल
✅गर्भाशय फाइब्रोईड
✅फैटी लीवर
✅हाइपोथायरायडिज्म

✅सुस्ती
✅खुजली
✅भोजन में अरुचि
✅पेट में कीड़े होने पर

👉यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालती है।

🤔छाछ खाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

🌷बसंत, वर्षा और सर्दी का मौसम छाछ खाने का सबसे अच्छा समय है।
🌷इसे दिन में किसी भी समय लिया जा सकता है लेकिन दोपहर के भोजन का समय बेहतर होता है।
गर्मियों में इसका प्रयोग कम करना चाहिए।

🤔छाछ कैसे बनाते हैं?

🌻घर का बना ताजा दही लेकर उसमें 1:4 या 1:2 के अनुपात में पानी मिलाकर मथ लें, मथन के कारण सतह पर आने वाले मखन या झाग को हटा दें और बस छाछ तैयार है ।

🌻अलग-अलग परिस्थितियों और आवश्यकता में छाछ में अलग-अलग सामग्री डाली जा सकती है।

🌻छाछ में अदरक, नमक मिलाए फिर इसमें  घी ,जीरा ,हींग ,करी पत्ता के साथ तड़का लगाए।

🌻वजन घटाने के लिए छाछ + गार्सिनिया + धनिया, जीरा पाउडर, नमक, सोंठ पाउडर का प्रयोग करें।

🌻वात विकारों में वात प्रकृति वाले व्यक्ति खट्टी छाछ को नमक के साथ प्रयोग करते हैं।

🌻पित्त प्रकृति और पित्त विकारो में मिश्री के साथ ताजी छाछ का प्रयोग करें।

🌻कफ की स्थिति और शरीर के प्रकार में छाछ में त्रिकटु ,यवक्षर मिलाएं।

🤔किन परिस्थितियों में छाछ से बचना चाहिए?

👉चक्कर आना, रक्तस्राव विकार, बवासीर से खून बहना, कमजोरी, जलन, चोट लगने पर छाछ से परहेज करें।

👉अत्यधिक गर्म मौसम में पित्त व्यक्ति को इससे बचना चाहिए, अन्य लोग इसे इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने के लिए ले सकते है लेकिन कम मात्रा में।

👉केवल ताजा घर का बना छाछ पीये , पैकेज्ड से बचें।

✅पतली छाछ  बेहतर है।

🤔दही और छाछ में क्या अंतर है?

👉बहुत से लोग सोचते हैं कि छाछ और दही का एक ही प्रभाव होता है क्योकि  दही में पानी मिलाकर सिर्फ मथा है लेकिन छोटी छोटी क्रिया से भी वस्तु का प्रभाव सम्पूर्ण रूप से बदल जाता है ऐसे हैं  दही और छाछ के शरीर पर प्रभाव में जमीन आसमान जितना अंतर है।☘️

🌼दही भारी होती है, छाछ पचने में हल्की होती है।
🌼अगर दही का सेवन सही तरीके से नहीं किया जाता है तो यह पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है जबकि छाछ पाचन संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करती है।

🌼दही शरीर के स्रोतासो को बंद करता है वही छाछ उन्हें साफ और खोलती है।

🌼दही से वजन बढ़ता है और छाछ वजन कम करने में मदद करती है।

🌼दही का रोजाना सेवन करने से सूजन हो सकती है, छाछ सूजन को दूर करने में मदद करती है।

🌼दही में पानी कम होता है छाछ में तरल अंश अधिक होता है इसलिए गर्मियों में शरीर को हाइड्रेट करने में मदद करता है।

हेल्थ के नाम पर मिलने वाले पेय से छाछ कही बेहतर विकल्प है ।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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