वर्षा ऋतु में कैसा हो आहार और विहार?क्या नही खाए ?जाने और पालन करे वर्षा ऋतुचर्या का और स्वस्थ्य रहे।

🌧️मानसून या वर्षा ऋतुचर्या☔

☔हर मौसम के साथ पर्यावरण में परिवर्तन होता है और यह हमें भी प्रभावित करता है इसलिए प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना और शरीर में दोष का संतुलन बनाए रखने के लिए मौसम के अनुसार भोजन की आदतों और जीवन शैली में बदलाव करना महत्वपूर्ण है।🌷

☔आयुर्वेद प्रत्येक मौसम के लिए मौसमी बीमारियों से बचाव और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कुछ आहार और दिनचर्या का सुझाव देता है। 🌷

☔आमतौर पर लोग सोचते हैं कि मौसम बदलने के साथ बीमार पड़ना सामान्य है, बुखार, खांसी, सर्दी और एलर्जी सामान्य है लेकिन ऐसा नहीं है, सरल नियमों का पालन करके उन्हें आसानी से रोका जा सकता है। 🌷

☔मानसून के दौरान आसमान में बादल छाए रहते हैं, सूरज हल्का होता है, बारिश के कारण वातावरण गीला, ठंडा, आर्द्र होता है, पानी मैला होता है और जल निकाय प्रदूषित हो जाते हैं।🌷

☔ भारत में मानसून के मौसम दो महीने (श्रवण और भाद्रपद) जुलाई के मध्य से सितंबर के मध्य तक होते हैं। 🌷

🤔बारिश का मौसम शरीर को कैसे प्रभावित करता है??? ️

🌧️वर्षा ऋतु में शरीर की शक्ति और पाचन क्षमता कम होती है।☘️

🌧️ इस मौसम में वात दोष बढ़ जाता है और पित्त जमा हो जाता है।☘️

🌧️ भोजन और पानी में खट्टा स्वाद प्रमुख हो जाता है। ☘️

🌧️इस मौसम में पेट के दर्द, ऐंठन, दस्त, खांसी और जुकाम होने की संभावना अधिक होती है।☘️

🤔 वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य रहने के लिए क्या करें और क्या न करें ??

🌻आहार के नियम

👉 पाचन शक्ति या अग्नि कम होने के कारण हल्का, गर्म और ताजा भोजन ही करना चाहिए।

✅ भारत में श्रावण व्रत या चतुर्मास उपवास बहुत पहले से प्रचलित है जो कमजोर अग्नि के कारण अपच को रोकने में मदद करता है।

👉भोजन से पहले थोड़ा सा अदरक + सेंधा नमक + नींबू खाने से भूख बढ़ाने में मदद मिलती है। ️

👉 मूंग दाल का सूप फायदेमंद होता है।

✅ पानी प्रदूषित हो जाता है तो उबला हुआ पानी ही पियें

👉मीठा, खट्टा, नमकीन और थोड़ा तेलयुक्त भोजन करें।

👉 कड़वे, तीखे और कसैले स्वाद वाले खाद्य पदार्थों से बचें।

👉पुराना अनाज खाए। गेहूं, चावल, जौ, ज्वार, दाल, सत्तू, मूंग दाल और भुने हुए अनाज का सेवन करना चाहिए।

✅ मौसमी सब्जियां और फल ही खाएं।
आम के सेवन से बचना चाहिए या सीमित करना चाहिए।

👉पत्तेदार हरी और कच्ची सब्जियों से परहेज करें। ❎

👉लौकी, करेला, तुरई, कद्दू, परवल, आलू, अदरक और लहसुन अनुकूल सब्जियां हैं।

✅ खाने में काली मिर्च, जीरा, इलायची, लौंग, दालचीनी, सोंठ आदि मसालों का प्रयोग करना चाहिए।

👉अत्यधिक पानी या अन्य तरल पदार्थों से बचें।

❌ मांस, उड़द की दाल, पनीर आदि जैसे भारी पचने वाले भोजन से बचें

👉ठंडे और बासी भोजन से परहेज करें।

👉आइसक्रीम से परहेज करें। 🍧🍦❌

👉सूखे भुने चने, मूंगफली और मुरमुरे का सेवन करना चाहिए.

👉इस समय पानी के साथ शहद अवश्य लेना चाहिए। 🍯

👉सेंधा नमक के साथ हरड़ का पाउडर (2-3 ग्राम) लें।

👉 आयुर्वेदिक आसव, अरिष्ट और पाचक चूर्ण लेना अच्छा है इन्हे डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए।

🌻जीवनशैली के नियम

👉दिन के समय सोने से बचें क्योंकि यह पाचन को धीमा कर देता है जो पहले से ही कम ताकत पर काम कर रहा है।

👉 परिश्रम और भारी व्यायाम से बचें।

👉तेल मालिश, कवल, नस्य और कर्ण पुरण नियमित रूप से करें। ✅

👉लंबे समय तक धूप में न रहें। ️

👉गर्म, साफ और सूखी जगह पर रहें। ✅

👉 घास पर और गंदे पानी में नंगे पांव चलने से बचें। ❌

👉पैरों को सूखा रखें। 👣

👉बारिश में न भीगें, शरीर को सूखा और गर्म रखें।

👉स्नान के लिए हर्बल पाउडर का प्रयोग करें (बेसन, हल्दी, नीम, लोध्र, चंदन, मंजिष्ठा आदि)

👉अपने कपड़ों पर और घरों में धूपन का प्रयोग करें (गाय के उपले पर नीम, हल्दी, काली मिर्च, लोबान, गुग्गल, घी डालकर जलाएं)

👉 नदी, जलप्रपात और अन्य जल निकायों से दूर रहें। ️

👉वात दोष को शांत करने के लिए आयुर्वेद की बस्ती चिकित्सा के लिए यह सर्वोत्तम समय है।

🤔 क्या हम बारिश के मौसम में पकौड़े खा सकते हैं??

✅ बढ़ते वायु के कारण बढ़े हुए सूखेपन को संतुलित करने के लिए शरीर तला हुआ खाना खाना चाहता है तो हाँ आप तले हुए स्नैक्स ले सकते हैं लेकिन कम मात्रा में और अगर आपका पाचन बहुत कमजोर है तो आपको तली चीजें खानी चाहिए।😀

☔उपरोक्त बातों का पालन करके आप खुद को संक्रमणों😎 और अन्य मौसमी समस्याओं से बचा सकते हैं। 🌧️

🌷समस्या से बचाव हमेशा इलाज से बेहतर है। 😊

🌱🌱आयुर्वेद अपनाए ।🌱🌱

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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