
🌷जामुन भारत का मूल निवासी है🇮🇳 वास्तव में जामुन के पेड़ बहुतायत में होने के कारण ही भारत को जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता था।👍🌹🙏🙂
👉यह बेरी अच्छाई से भरपूर है इसके फल, बीज, छाल और पत्ते सभी औषधीय महत्व के हैं।
👉 इसके फल गर्मियों के अंत और मानसून की शुरुआत में उपलब्ध होते हैं।
👉यह स्वाद में मीठा, खट्टा और कसैला होता है।
👉यह सूखा और पचने में हल्का होता है,इसकी प्रकृति ठंडी होती है। यह कफ और पित्त को संतुलित करता है, यह वात दोष को बढ़ाता है।
👉यह अमीनो एसिड और कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जस्ता और तांबे जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। इसमें ए, बी 1, बी 2, बी 6, फोलिक एसिड और विटामिन सी जैसे विटामिन होते हैं।
🤔इसके उपयोग क्या है??
✅यह पाचक अग्नि को बढ़ाता है, भूख और भोजन के पाचन में सुधार करता है। 😋
✅लिवर की रक्षा और उसे सक्रिय करता है।
✅यह मधुमेह विरोधी है, यह रक्त शर्करा के स्तर को तथा मूत्र में शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके बीज के चूर्ण का प्रयोग मधुमेह में किया जाता है। 😊
✅ उन लोगों के लिए अच्छा है जो कमजोर हैं या लगातार वजन कम हो रहा हैं। 💪
✅इसकी शोषक क्रिया के कारण इसके बीज का चूर्ण दस्त, आईबीएस, डायरिया और पेचिश में उपयोग होता है। 👌
✅ यह नाक से खून बहना, गुदा से खून आना और मसूड़ों से खून आना जैसे रक्तस्राव विकारों में उपयोगी है।🌼
✅ एनीमिया में लाभकारी । यह रक्त की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करता है।
✅ जलन से राहत दिलाता है।
✅ प्रदर और मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव में उपयोगी। 👩।
✅त्वचा और आंखों के लिए अच्छा है और संक्रमण को रोकता है👍
✅यह अतिसक्रिय मूत्राशय में उपयोगी है, यह मूत्राशय की मूत्र धारण क्षमता को बढ़ाता है। 🙏
✅यह थकान दूर करता है।
✅कृमि संक्रमण में उपयोगी है।
✅यह गले के दर्द, दमा, खांसी, सर्दी और सांस लेने में तकलीफ में उपयोगी है। 🤧
✅दिल के लिए अच्छा है ।❤️
✅घाव भरने में मदद करता है। 😊
✅मतली और उल्टी को ठीक करने में उपयोगी है
🤔 इसका उपयोग कैसे करना है??
🌺इसके क्रिमसन फल या फलों के रस का सेवन करें।
🌺 इसके फल के सिरके का प्रयोग किया जा सकता है।
🌺बीज का चूर्ण मधुमेह में विशेष उपयोगी होता है।
🌺छाल का काढ़ा ले सकते है।
🌺पत्तियों का काढ़ा पी सकते है।
☘️नोट
👉इसका अधिक मात्रा में उपयोग न करें क्योंकि इससे कब्ज, सूजन और अन्य वायु विकार हो सकते हैं।
👉सूजन और कब्ज को रोकने के लिए इसे सेंधा नमक या काला नमक के साथ लें।
👉दिन के वात समय (दोपहर 2 से 6 बजे) में इसे खाने से बचें, इसके लिए सबसे अच्छा समय पित्त समय (सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे) है।
👉 वात व्यक्ति को या वात विकारों में इसका सेवन कम करना चाहिए।