
🌺चर्म रोगों के सामान्य कारण जाने और इनसे बचे।
👉त्वचा हमारे शरीर की रक्षा की पहली पंक्ति है। 😇
👉 सुंदर त्वचा आकर्षक होती है और वही चर्म रोग बहुत गहराई तक मन पर असर करते है। कुछ त्वचा की समस्याओ में शारीरिक रूप से दर्द नहीं भी हो लेकिन वे मानसिक दर्द देती हैं।☹️
👉 आज त्वचा की देखभाल, सौंदर्यीकरण और उपचार के लिए पूरे उद्योग चल रहे है तो भी त्वचा की समस्याओं से हर दूसरा व्यक्ति पीड़ित है। 🧐
👉आयुर्वेद के अनुसार चर्म रोगों के प्रकट होने में समय लगता है और वे ठीक होने में भी समय लेते हैं, यह लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों में से एक है।यह तक बताया गया है की यह जन्म जन्म तक चलती है।😲
👉तो हर किसी के लिए चर्म रोगों के कारणों को जानना बहुत जरूरी है ताकि वे किसी भी तरह के चर्म रोगों से अपनी रक्षा कर सकें और यदि कोई पहले से किसी से पीड़ित है तो उन्हें कारण पता होना चाहिए और उनसे दूर रहना चाहिए जिससे चिकित्सा में सहायता मिले।👍✅
👉 चर्म रोग को आयुर्वेद में महारोग (प्रमुख रोग) के रूप में माना जाता है, इसीलिए इसके कारणों को जानना जरूरी है,ताकि इनसे बचा जा सके।🌺
🌻 आहार से संबंधित कारण
- विरुद्ध आहार । (इसके बारे में विस्तार से लिखेंगे) 👍
- पिछले भोजन के पाचन के बिना भोजन करना।
- अति भोजन 🌱
- पचाने में भारी और अत्यधिक चिकनाई युक्त भोजन करना । 🌱
- अत्यधिक तरल (पानी सहित) का सेवन करना।
- अत्यधिक ठंडा या गर्म भोजन करना।❄️
- कुछ ठंडा खाने के बाद गर्म या गर्म भोजन के बाद ठंडा भोजन करना।👍
- अत्यधिक उपवास करना। 🌱
- दही, मछली, उड़द दाल, तिल, मूली, नमक और खट्टी चीजों का नियमित सेवन 🧂
- दैनिक आधार पर नए अनाज, चावल का आटा और अन्य आटे के व्यंजन का सेवन करना। ☀️
- दूध और उसके उत्पादों का अधिक सेवन।🥛
- गुड़ और इसके उत्पादों की अधिक खपत।
🌻जीवनशैली से संबंधित कारण
- प्राकृतिक आग्रहो को रोकना, विशेष रूप से उल्टी के वेग को । 👍
- नकारात्मक मानसिक आग्रह को न रोकना
- दिन के समय में सोना ( सुबह देर से जागना भी दिन के समय की नींद ही है) ☀️
- तेज धूप से आकर तुरंत बाद स्नान करना।
- गर्म जलवायु में अयाधिक व्यायाम या परिश्रम करना।
- अनुचित पंचकर्म या डिटॉक्स थेरेपी के कारण।
- भय, चिंता, राग और द्वेष के कारण ।
🌻व्यवहार संबंधित कारण
- बड़ों, शिक्षकों और विद्वानों का अपमान करना।
- धूम्रपान और शराब का सेवन करना।
- पाप कर्म करना।
👉उपरोक्त कारणों के कारण चयापचय में गड़बड़ी होती है, जिससे शरीर में टॉक्सिन्स का उत्पादन और संचय होता है , जो शरीर के स्त्रोतसो को अवरुद्ध करते हैं जिससे शरीर ऊतक पोषण से वंचित होते हैं, जो त्वचा के ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे त्वचा विकार होता है।
👉 त्वचा विकार में त्वचा, रक्त, मांसपेशियों और शरीर के तरल पदार्थ प्रभावित हो जाते हैं।
👉 सभी 3 दोष असंतुलित हो जाते हैं।
👉आयुर्वेद त्वचा की समस्याओं के लिए सबसे अच्छा उपचार प्रदान करता है।
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