किसी भी रोग की चिकित्सा में चार घटक है जरूरी (चिकित्सीय चतुष्पाद)- चिकित्सक,रोगी,दवा और उपस्थाता।

चिकित्सा चतुष्पाद (चिकित्सा के 4 घटक )

🌷बीमारी दोष, धातु और मल के असंतुलन से होती है।
🌷इन्हे वापस संतुलन में लाने को ही चिकित्सा या इलाज कहते है।

🌷किसी भी बीमारी के इलाज में सिर्फ चिकित्सक की जिम्मेदारी नहीं होती है। चिकित्सक के अलावा 3 और महत्वपूर्ण पहलू होते है।

🌷इन 3 पहलुओं की अनुपस्थिति में एक महान चिकित्सक भी बीमारी का इलाज नहीं कर सकेगा।

4 घटक जो किसी भी बीमारी का प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे हैं –

  1. वैद्य या चिकित्सक
  2. द्रव्य (दवाई)
  3. उपस्थाता (परिचारक) (Attendant)
  4. रोगी (मरीज)

ये 4 घटक निम्न विशेषताएं रखते है –

  1. वैद्य या चिकित्सक
    वह सबसे महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह वह है जो अन्य 3 घटकों का उपयोग कर रहा है। वैद्य के पास निम्नलिखित गुण होने चाहिए –

✅वैद्य का ज्ञानी होना आवश्यक है। उसे रोग के लक्षण, चिन्हों और उसके उपचार के बारे में सही ज्ञान होना चाहिए।
✅वैद्य को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में अनुभव और व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए।
✅उसे अपने कार्य में कुशल और अनुशासित होना चाहिए।
✅चिकित्सक को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से साफ होना चाहिए। उसे किसी भी नकारात्मक भावना जैसे लालच, घृणा या ईर्ष्या के प्रभाव में काम करना चाहिए।

  1. द्रव्य (दवाई)

✅दवा रोग के लिए उपयुक्त होनी चाहिए।
✅दवा को विभिन्न रूपों और खुराक में इस्तेमाल किया जा सकता है।
✅दवा में बीमारी के उपचार से संबंधित सभी आवश्यक गुणों का होना आवश्यक है।
✅ दवा आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।

  1. परिचारक (Attendant)
    रोगी की देखभाल करने वाले व्यक्ति के पास निम्नलिखित गुणों को होना चाहिए –

✅ उसे नर्सिंग का ज्ञान होना चाहिए।
✅अपने कार्य में कुशल होना चाहिए।
✅ उसे मरीजों में प्रति दयालु और स्नेही होना चाहिए।
✅ उसे शारीरिक रूप से स्वच्छता का पालन करना चाहिए और नकारात्मक भावनाओं रहित होना चाहिए।

  1. रोगी
    रोगी वो है जिसके लिए उपरोक्त तीनों कार्य करते है और रोगी स्वयं भी अपनी बीमारी के इलाज के लिए जिम्मेदार होता है। निम्नलिखित गुणों वाले रोगी निश्चित रूप से स्वयं के शीघ्र स्वास्थ लाभ में उपरोक्त तीनों की मदद करते हैं- –

✅रोगी की याददाश्त अच्छी होनी चाहिए ताकि डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कर सके, जैसे समय पर दवा लेना और फॉलोअप के लिए आना।
✅रोगी को आज्ञाकारी होना चाहिए। उसे चिकित्सक द्वारा दिए गए सुझावों (आहार, व्यायाम, परहेज़ या उपचारों) का पालन करना चाहिए।
✅रोगी को निडर और साहसी होना चाहिए।
✅रोगी के पास बीमारी के लक्षणों के बारे में बिना किसी अतिशयोक्ति और बिना कुछ छिपाए चिकित्सक को समझाने या बताने की क्षमता होनी चाहिए।

🌷इन सभी के निर्धारित प्रयासों से रोगी का स्वास्थ्य पुनः बहाल होता है।

🌷इन सभी घटकों में से चिकित्सक सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि चिकित्सक ही है जो अन्य घटकों का प्रभावी रूप से उपयोग करने के लिए जिम्मेदार है।

🌷 जैसे भोजन बनाने के लिए कई चीजों जैसे सब्जी, आटा, बर्तन और अग्नि का होना आवश्यक है लेकिन बिना कुशल बावर्ची के स्वादिष्ट भोजन नहीं पकाया जा सकता है।

🌷इसी तरह, एक चिकित्सक उपचार के इन तीन अन्य पहलुओं की सहायता से अपने गुणों का उपयोग करके सफलतापूर्वक रोगों का इलाज कर सकता है।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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