
अचार
🌺 अचार, किण्वन (Fermentation) के माध्यम से स्वाभाविक रूप से भोजन को संरक्षित करने का एक पारंपरिक तरीका है। 😋
🌺 मौसमी फल और सब्जियों को अचार बनाने के लिए चुना जाता है ताकि इनके स्वाद का पूरे वर्ष आनंद लिए का सके ।👌
🌺 रेगिस्तानी भूमि में जहाँ सब्जियाँ की पैदावार और उपलब्धता कम होती है वहां अचार एक अच्छा विकल्प है।
🌺 प्राचीन काल में जब एक जगह से दूसरी जगह जाने में कई दिन लग जाते थे तो लोग अचार अपने साथ ले जाते थे जो खराब नहीं होता था।👍
🌺 हम भारतीयों के लिए अचार हमारी संस्कृति का अविभाज्य हिस्सा है। 😀
🌺 तीखा, खट्टा (Tangy) अचार खाने में स्वाद को बढ़ाता है। अचार सूंघने और देखने से लार का स्त्राव होने लगता है जो पाचन के लिए अच्छा है। 😋
🌺 इसमें 6 रस होते हैं। यह मसालेदार, तीखा और प्रकृति में गर्म होता है। यह सभी तीन दोषों को बढ़ाता है।
🌺 ये विटामिन सी से भरपूर होता है। आंत में अच्छे जीवाणुओं के विकास में मदद करता है। 😎
🌺 अचार बनाने के लिए सब्जियों, फलों और यहां तक कि मांस का उपयोग भी किया जाता है।
🌺 अचार में बहुत सारे मसालों का उपयोग किया जाता है जो पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक होते है। ☺️
🌺 केवल घर के बने अचार का ही उपयोग करें। इसमें आप अपनी आवश्यकता के अनुसार सामग्री डाल सकते हैं जैसे कि सूजन के लिए हिंग, दर्द के लिए मेथीदाना और मधुमेह के लिए आंवला ,हल्दी आदि।
🌺 बाजार के बने अचार में सिरके और अन्य संरक्षक तत्वों (Vinegar and Other Preservatives) को मिलाया जाता है जिसके इस्तेमाल में किए जाने वाले तेल और मसालों की गुणवत्ता के बारे में सुनिश्चित होना कठिन होता है।
🌺 अचार का सेवन कम मात्रा में ही करें। इसे सब्जी की तरह न खाएं। ❎
🌺 इसे रोजाना न खाएं। ❎
🌺 अम्लता (Acidity), रक्तस्राव विकारों, अपच, IBS, उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) और सिरदर्द में इसके सेवन से बचें। ❎
🌺 बच्चों और बूढ़े लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए। ❎
🌺 यह प्रकृति में राजसिक और तामसिक है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।