
अभ्यंग या मालिश आयुर्वेदिक दिनचर्या का हिस्सा है।
🌞अभ्यांग सब उम्र के लोग और हर मौसम में हर रोज कर सकते है।
🌞नहाने से पहले रोजाना मालिश या अभ्यंग करें इसमें सिर्फ 15 मिनट या कम से कम 5 मिनट का समय लगता है।
🌞तेल को संस्कृत में स्नेह कहा जाता है इसलिए अभ्यंग स्वयं को स्नेह देने जैसा है।
🌞अभ्यंग न केवल त्वचा के लिए अच्छा है बल्कि यह पूरे शरीर प्रणाली के लिए फायदेमंद है इसलिए यह आयुर्वेदिक उपचार का अभिन्न अंग है।
🌞यह स्वस्थ स्थिती के साथ-साथ कई रोग की स्थितियों में उपयोगी है।
🌷अभ्यंग के लाभ
👉यह हड्डी, मांसपेशियों, टेंडॉन्स और स्नायुबंधन को मजबूत करता है।
👉यह शरीर की ताकत और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
👉यह गठिया, स्पॉन्डिलाइटिस और अन्य जोड़ों के विकारों को रोकता है।
👉यह जोड़ों को चिकनाई देता है, मांसपेशियां अच्छी तरह से टोंड और मजबूत होती हैं।
👉यह शारीरिक और मानसिक तनाव का प्रतिरोध करता है।
👉यह विधि शरीर में खनिजों और पोषक तत्वों को त्वचा के माध्यम से पहुचती है ।
👉यह त्वचा की गुणवत्ता और रंगत में सुधार करता है। ️
👉अभ्यंग से शरीर से विषाक्त पदार्थों बाहर निकल जाते है।
👉नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।
👉दृष्टि में सुधार होता है।
👉बाल मुलायम, चमकदार और घने हो जाते हैं।
👉नियमित अभ्यंग से झुर्रियों नही आती है।
👉शरीर और दिमाग को आराम मिलता है। यह एक स्ट्रेस बस्टर है और मानसिक स्पष्टता देता है।
👉सर्वश्रेष्ठ एंटी एजिंग है।
🤔अभ्यंग कैसे करें?
👉किसी प्याले में तेल लेकर थोड़ा गर्म कर लीजिए (गर्मी में गर्म करने की जरूरत नहीं है) फिर बैठ जाएं या आरामदेह जगह पर खड़े हो जाएं और मालिश निम्न प्रकार से शुरू करें
🌼खोपड़ी – उँगलियों की नोक से गोलाकार गति में तेल लगाएं।
🌼माथा- उंगलियों के अग्रिम भागे से माथे के बीच से बाहर की ओर मालिश करे।
🌼चेहरा पर ऊपर की दिशा में गोलाकार गति में अभ्यंग करे।
🌼कान पर तेल लगाए।
🌼गर्दन के आगे और पीछे अभ्यंग करे।
🌼छाती और पेट दक्षिणावर्त दिशा में अभ्यंग करे।
🌼हाथ और पैर – नीचे की दिशा में लंबे स्टोक्स और जोड़ों पर गोलाकार गति से तेल लगाए।
🌼कमर और पीठ पर – बीच से बाहर की ओर अभ्यंग करे।
🌼अंत में पैरो पर तेल लगाए।
👉5-10 मिनट के लिए तेल छोड़ दें फिर गुनगुने पानी से नहा लें।
🤔अभ्यंग के लिये कौन सा तेल इस्तेमाल करें?
👉अपनी प्रकृति (शरीर के प्रकार) के अनुसार तेल चुनें।
👉तिल का तेल हर कोई इस्तेमाल कर सकता है।
️ 👉दर्द में महानारायण तेल का प्रयोग करें और तनाव में ब्राह्मी तेल का प्रयोग करें।
🤔सेल्फ मसाज के लिए सबसे अच्छा समय ??
👉सुबह नहाने से पहले। रात में पैरों की मालिश करें।
🤔मालिश से कब बचें?
👉अपच और बीमारी में।
👉मासिक धर्म के दौरान हल्की मालिश की सलाह दी जाती है।
👉गर्भावस्था में भी स्वयं की हल्के हाथ से मालिश की जा सकती है इससे गर्भावस्था में होने वाले दर्द, खिंचाव के निशान, खुजली और त्वचा की मलिनकिरण को रोका जा सकता है।
🌻अभ्यंग एक ऐसी विधि है जिससे बिना कुछ खाए शरीर को पोषण और बल मिलता है। इसे जरूर करे और स्वस्थ्य रहे।🌱