
केला या कदली🍌
🌷संस्कृत में कादली का दूसरा नाम अमृत है, जो इसके महत्व को दर्शाता है।
🌷केले का पौधा उन पौधों में से एक है जिसके सभी हिस्से (भाग) उपयोगी होते है।
🌷इसका पका हुआ फल सबसे सस्ता, आसानी से उपलब्ध और स्वादिष्ट फल होता है।
🌷केले की कई किस्में हैं जो आकार और रंग में भिन्न होती हैं। स्थानीय स्तर पर उगाएं गए केले का उपभोग करे।छोटे ,विष्ट खुशबू वाले केले खाने के लिये श्रेष्ट होते है
🌷इसके पके हुए फल के अतिरिक्त इसके कच्चे फल, तना और पुष्पक्रम (Inflorescence) को सब्जियों के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके पत्तों का भोजन परोसने के लिए उपयोग किया जाता है।
🌷हमारे देश में केले के पौधे की पूजा भी की जाती है क्योंकि यह केवल हमे देता है और बदले में कुछ नहीं मांगता है।
🌷केले का फल सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए (बच्चो से बूढों तक) लाभकारी होता है।
🌷केले का पका हुआ फल स्वाद में मीठा और कसैला होता है। पचने में भारी और स्निग्ध (Unctuous) होता है। यह वात और पित्त दोष को शांत करता है तथा कफ दोष को बढ़ाता है। यह प्रकृति में ठंडा होता है।
🌺केले के फायदे या लाभ
✅यह उन लोगों के लिए अच्छा है जिनका पाचन तंत्र या पाचन की अग्नि मजबूत होती है या वे व्यक्ति जिनको हर समय भूख महसूस होती हैं। यह भूख और प्यास दोनों को शांत करता है।
✅इसका सेवन सामान्य कमजोरी में करने से यह शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
✅यह पित्त विकारों में उपयोगी होता है। जैसे
👉gastritis
👉शरीर, हथेली और पैरों में जलन,
👉शरीर में अत्यधिक गर्मी होना,
👉अत्यधिक पसीना आना,
👉अत्यधिक गुस्सा आना, और
👉रक्तस्राव विकारों जैसे नाक से खून आना, गुदा से रक्त आना या माहवारी में अधिक रक्तस्राव होना।
✅यह वात विकारों में भी लाभकारी है। जैसे
👉कमजोरी,
👉सूखी खांसी,
👉दुर्बलता,
👉मांसपेशियों में कमजोरी,
👉 मांसपेशियों का कुपोषण या दुर्विकास,
👉अतिसक्रियता (Hyperactivity), और
👉अत्यधिक विचारो का आना (मन का अशांत रहना)।
✅ यह रक्त को शुद्ध करता है।
✅यह बालों के विकास के लिए अच्छा है।
✅केला उन व्यक्तियों के लिए अति आवश्यक है जो भारी कसरत करते है और मजबूत शरीर का निर्माण करना चाहते है।
✅यह मस्तिष्क के लिए टॉनिक का कार्य करता है और तनाव, चिंता से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
✅यह कीड़ों के संक्रमण से राहत दिलाता है।
✅यह मधुमेह से पीड़ित ऐसे व्यक्तियों के लिए अच्छा है जिनका वजन घटता जा रहा है।
✅जिन व्यक्तियों को उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) है उन्हें इस अवश्य खाना चाहिए।
✅इसके तने का रस गुर्दे में पथरी और मूत्र में जलन होने पर अत्यधिक लाभकारी होता है।
✅इसका फूल HyperAcidity में उपयोगी होता है।
✅कच्चा केला स्वाद में कसैला होता है। यह दस्त, IBS, पेट में गैस बनना और सूजन में उपयोगी है। इसे पकाने के लिए घी का उपयोग करना बेहतर होता है।
✅रूसी या Dermatitis में इसके पत्तों को रस लगाना लाभकारी होता है।
✅सूखी त्वचा और सूखे बाल हो तो उसपर पके हुए केले का पेस्ट लगाना उत्तम होता है।
✅यह कई स्त्रीरोगो में उपयोगी होता है। जैसे प्रदर (Leucorrhoea), अत्यधिक रक्तस्राव, कमजोर गर्भाशय आदि।
✅यह शुक्राणुओं (Sperm) की मात्रा और गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।
🤔क्या केले का मिल्क शेक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है??
🌻नहीं। आयुर्वेद के अनुसार केला और दूध दोनों ही पचाने के लिए भारी होते हैं। दोनों का साथ में सेवन करने से यह पाचन तंत्र की अग्नि को धीमा कर देते हैं, इसलिए संयोजन (Combination) के सेवन से बचना चाहिए।❌
🧐 केला और दही साथ में लेना चाहिए??*
इस संयोजन (Combination) से भी परहेज़ करना चाहिए।❌
केले से परहेज़ कब करना चाहिए??
👉खांसी, सर्दी, दमा, अपच और पाचन शक्ति कम होने के दौरान।
👉 केला खाने के तुरंत बाद पानी पीने से बचना चाहिए।
❓केले का सेवन कब करना चाहिए??
🌺कफ समय को छोड़कर(प्रातः 6 बजे से 10 बजे तक और रात्रि 6 बजे से 10 बजे तक) इसका सेवन किया जा सकता है।
🌺जिस व्यक्ति का पाचन तंत्र मजबूत होता है वह कभी भी केले का सेवन कर सकता है।
🤔 केले की चोटी किस्म ही क्यों अच्छी है??
👉केले की छोटी किस्म शरीर की नलिकाओं को बंद नहीं करती है, लेकिन आजकल हर जगह उपलब्ध बड़ी किस्म के केले से हर तरह से बचना चाहिए क्योंकि वे पचने में भारी होते हैं, ठंडे होते हैं और शरीर के चैनलों को अवरुद्ध करते हैं। केले का नियमित सेवन पाचन अग्नि को नम करता है जो सभी रोगों के लिए जिम्मेदार है।
नोट– यदि अधिक मात्रा में केले का सेवन करने से अपच हो जाता है तो घी और सोठ के उपयोग से राहत मिलती है।