विटामिन डी की कमी के कारण,लक्षण और सुधार के उपाय।

🌷आधुनिक विज्ञान की प्रगति के साथ अब यह ज्ञात है कि शरीर में विटामिन का सामान्य स्तर क्या होना चाहिए।

🌷शरीर में विटामिन की कमी को परीक्षणों से भी जाना जा सकता है। विटामिन डी की कमी होना आजकल बहुत आम बात है।

🌷विटामिन डी को धूप विटामिन भी कहा जाता है क्योंकि शरीर सूर्य के प्रकाश की मदद से इस विटामिन का उत्पादन करता है।

🌷विटामिन डी रक्त में कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने और हड्डी द्वारा इसके अवशोषण के लिए आवश्यक है। यह हड्डी के गठन और विकास को बढ़ावा देता है।
🌷यह शरीर को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य रोगाणुओं से बचाता है।
🌷यह तंत्रिका-मांसपेशी में समन्वय बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
🌷यह कैंसर को रोकने में मदद करता है।

🌺विटामिन डी की कमी के लक्षण

👉विटामिन डी की कमी हड्डियों और जोड़ों को कमजोर बनाती है।

👉बच्चो में सूखा रोग(Rickets)

👉दिल और रक्त वाहिकाओं से संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

👉थकान, मांसपेशियों में ऐंठन, दर्द, सिरदर्द जैसी समस्याएं हो जाती है।

👉अपच

👉एकाग्रता की कमी

👉उच्च रक्तचाप

👉वजन बढ़ जाता है।

विटामिन डी की कमी होने के क्या कारण होते है??
🌷आज की जीवनशैली जहां धूप हानिकारक बताया या समझा जाता है अतः लोग धूप से त्वचा को बचाने के लिए शरीर को ढँकते हैं, फैशन उद्योग द्वारा सनस्क्रीन लोशन को बढ़ावा देना, वातानुकूलित कमरों में अंदर रहना, त्वचा से चिपके कपड़े (Skin Tight) पहनना, उचित आहार और दिनचर्या का ना होना विटामिन डी की कमी के मुख्य कारण हैं।

🤔सूर्य से शरीर के उचित संपर्क के बाद भी विटामिन डी की कमी क्यू होती है ??

🌹हमारे शरीर में यकृत (Liver) सूर्य की रोशनी से विटामिन डी बनाता है। इसीलिए यदि यकृत ठीक से कार्य नहीं करता तो भी विटामिन डी की कमी हो सकती है।
🌹विटामिन डी एक वसा (Fat) में घुलनशील विटामिन है। इसलिए इस विटामिन की कैप्सूल लेने के बाद भी यदि हमारा यकृत ठीक से कार्य नहीं करता है तो इस विटामिन के कैप्सूल का उपयोग करना शरीर के लिए कठिन होगा और यह विटामिन कैप्सूल शरीर को लाभ के बजाय हानि पहुचायेगा।

🌷चीजे जिनका पालन करना चाहिए

✅सुबह सुबह घूमना, ढीले ढाले कपड़ों में व्यायाम करना।
✅ऊपर जो कारण बताए गए है उनसे बचना।
✅आयुर्वेद द्वारा बताई गई दैनिक दिनचर्या और मौसमी आहार का पालन करना।

✅कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, अखरोट, अलसी, बादाम को आहर में शामिल करना।

✅मछली का तेल (Cord Liver Oil)

✅Bone stock( bone को पानी में उबालकर इसमें अदरक, हल्दी, काली मिर्च डालकर लेना)

✅दूध और दूध से निर्मित उत्पादों का सेवन

✅विटामिन डी अनाज और जूस को दृढ़ करता है।

नोट – यकृत (Liver) की कार्य प्रणाली में सुधार के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

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