घी से बेहतर कुछ नही,यह कोलेस्ट्रॉल और वजन कम करता है,इम्युनिटी बढ़ता,आयु बढ़ता ,दिमाग तेज करता है और भी बहुत है इसके लाभ।

🌷घी को मनुष्यों के लिए सबसे शुद्ध, पवित्र😇, आध्यात्मिक (जैसे कि इसका उपयोग हवन और पूजन में भी किया जाता है) और स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों में से एक माना जाता रहा है, लेकिन आजकल घी के बारे में मिथकों और भ्रामक बातों का प्रचार किया जाता है।

घी बनाने की विधि
🌷घी से फायदे या लाभ केवल तभी होते है जब इसको उचित विधि (प्रक्रिया) से तैयार किया जाता है। दूध की मलाई को एकत्र करे ,७-१० दिन की मलाई को थोड़ा गर्म कर इसमें थोड़ा दही मिलकर रात भर के लिए छोड़ दे,अगले दिन दही में थोड़ा पानी मिला इसे बिलोकर मक्खन अलग करे,इस मक्खन को गरम करके घी प्राप्त करना है।

🌷कभी भी सीधे मलाई से घी नहीं बनाना चाहिए। इस प्रकार से बने घी का प्रयोग करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के साथ और भी कई समस्याएं उत्पन्न होती है।

🌷घी का उपयोग दुग्ध शर्करा ना सहने वाले व्यक्ति (Lactose Intolerant Person) भी कर सकते है।

🌷 घी को सभी (महिलाएं, पुरुष, बच्चे, जवान, बूढ़े) प्रतिदिन इस्तेमाल हर समय इस्तेमाल कर सकते है।

🌷आयुर्वेद में इसको आंतरिक (खाने में) और बाहरी (त्वचा पर, नाक में डालना) दोनों में उपयोग किया जाता है।

🌷घी के फायदे

✅यह शरीर की प्रतिरक्षाप्रणाली, स्मृति, सीखने की क्षमता, स्मरण क्षमता और बुद्धिमत्ता (बच्चों के लिए आवश्यक है) में सुधार करता है। यह दिमाग के लिए सबसे उत्तम टॉनिक है।🌻

✅ जिन लोगों को प्रतिदिन मदिरापान की आदत है उनके लिए उपयोगी है।

✅यह त्वचा, आवाज़ और सभी अंगों के सूखेपन को दूर करता है।

✅यह पाचन तंत्र की क्षमता को बढ़ाता है।

✅यह आंखो की रोशनी के लिए भी अच्छा है।

✅ यह त्वचा को मुलायम बनाने से साथ ही त्वचा की रंगत और चमक को भी बढ़ाता है।

✅घी आवाज़ के लिए अच्छा है।

✅ बुखार के पश्चात इसके उपयोग की सलाह दी जाती है किन्तु बुखार के दौरान इसके सेवन से बचना चाहिए।

✅यह जटिल चर्बी (मोटापे) को एकत्र करता है इसलिए उचित व्यायाम और आहार के साथ यह वजन घटाने में भी मदद करता है।

✅यह शरीर को मजबूत बनाता है। शरीर के सभी ऊतकों का पोषण करता है। जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) को भी बढ़ाता है।

✅यह महिलाओं के लिए अतिआवश्यक है खासकर उनके जीवन के तीन महत्वपूर्ण बदलावो के दौरान। पहला माहवारी (Mensus) की शुरुआत के दौरान, दूसरा गर्भावस्था के दौरान और बच्चा जनने के बाद और तीसरा रजोनिवृत्ति के समय।
✅घी बांझपन (Infertility) के उपचार में भी मदद करता है।

🌷 घी को इस्तेमाल करने के कुछ तरीके

👉 घावों को शीघ्र भरने के लिए घी का प्रयोग हल्दी और नीम के साथ किया जाता है।
👉 घी को दूध में मिलाकर लेना जवान बने रहने का (Anti aging) उत्तम तरीका है।
👉घी को त्रिफला (त्रिफला घृत) के साथ लेने से यह आंखो की रोशनी को बढ़ाता है।
👉मुंह में सूखापन (Oral Dryness) होने पर घी को आवला पाउडर और किशमिश में मिलाकर कुछ मिनटों तक मुंह में रखा जाता है।
👉 खून की कमी (Anaemia) होने पर त्रिफला और शक्कर में घी मिलाकर लेना चाहिए।
👉माइग्रेन से पीड़ित होने पर घी में केसर मिलाकर बूंदों के रूप में नाक में डालने की सलाह दी जाती है।
👉धूल मिट्टी से एलर्जी होने पर नाक की भीतरी दीवार पर घी लगाकर इसकी पतली परत बनानी चाहिए।
👉गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका सेवन अतिआवश्यक है।
👉कानो को छिदवाने से पहले कान पर घी लगाना चाहिए।
👉 घी को फटे होंठ, फटी एड़ी और महिलाएं जो हाल ही में माँ बनी हो उनके निपल्स पर पर लगाना चाहिए।

घी का सेवन कैसे करे?😋

✅सुबह के समय आधा चम्मच घी या घी को नाश्ते के हिस्से के रूप में लेकर दिन की शुरुआत करना सर्वोत्तम है। इसको चपाती या चावल पर डालकर (जो आपकी स्वाद कलियों के अनुकूल हो) भी लिया जा सकता है। घी के सेवन के बाद गर्म पानी या द्रव्य पीना अच्छा होता है।

घी के सेवन से कब परहेज़ करे?🤔

👉घी का उपयोग पीलिया, हेपेटाइटिस, वसायुक्त यकृत (Fatty Liver) की अवस्था में नहीं करना चाहिए। घी को खांसी और जुकाम में लेने से यह और खराब हो सकता है।
👉अगर गर्भवती महिला को ठंड है तो उसे घी के सेवन से परहेज करना चाहिए।
👉घी का अत्यधिक सेवन अपच और दस्त की समस्या का कारण बन सकता है।

🌺नोट

🌻यदि घी के सेवन के पश्चात भारीपन और अपच महसूस हो तो गर्म (उबला) पानी या वसा मुक्त छाछ पीनी चाहिए।
🌻अगर आपके बच्चे को दूध पीना पसंद नहीं है और आपको बहुत प्रयास करने पड़ते है दूध पिलाने के लिए, तो आपको उसे खाने में घी देना चाहिए, इससे दूध के सभी लाभ मिल जाते हैं।

Published by Dr. Amrita Sharma

I am an ayurvedic practitioner with experience of more than a decade, I have worked with best ayurvedic companies and now with the purpose of reaching out people to make them aware about ayurveda which is not just a system of treatment but a way of living to remain healthy

Leave a Reply

Discover more from Amritam Ayurveda

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading