🌷गुर्दे (Kidneys) सेम (Bean) के आकार का अंग हैं। यह संख्या में दो और पसलियों के ठीक नीचे स्थित होते हैं। यह रीढ़ के प्रत्येक तरफ एक स्थित होते हैं।
🌷यह रक्त को छानकर साफ करता है। विषाक्त पदार्थों, अवांछित खनिजों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालता है।
🌷गुर्दे में पथरी (Kidney Stones) खनिजों और अपशिष्ट पदार्थों के क्रिस्टलीकरण (crystallization) के कारण बनती हैं।
🌷 छोटी पथरी समय के साथ बिना लक्षणों के अपने आप ही निकल सकती है लेकिन बड़ी पथरी को बाहर निकालने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
🌷आयुर्वेद में गुर्दे की पथरी को मूत्राश्मरी (मूत्र – Urine, पथरी – Stone) कहा जाता है।
🌷इसके लक्षण और संकेत
👉अचानक पेट के निचले हिस्से में दाएं या बाएं दर्द होना, जो पीछे से आगे की ओर होता है।
👉पेशाब करने में दर्द होना।
👉पेशाब के दौरान जलन होना।
👉 मूत्र का Scattered and Split Stream में होना।
👉 मूत्र का लाल पीला का लाल रंग होना।
👉 मतली, उल्टी, सिरदर्द, शरीर में दर्द।
🌷 इसके प्रकार
इसे इसके आकार, रचना और स्थान के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
✅ Calcium पथरी, Calcium Oxalate पथरी, Calcium Phosphate पथरी, Uric Acid पथरी, Struvite।
✅ गुर्दे की पथरी गुर्दों में विकसित होती है लेकिन यह मूत्र प्रणाली से अन्य भागों जैसे मूत्र मार्ग और मूत्राशय में भी मौजूद हो सकती हैं।
✅ आयुर्वेदिक में इसका वर्गीकरण दोष पर आधारित है। वात अश्मरी, पित्त अश्मरी, कफ अश्मरी और शुकराज अश्मरी ( सभी तीनों दोष)। मुख्य रूप से कफ दोष अश्मरी/पथरी में प्रमुख है।
🌷पथरी बनने के कारक/कारण
👉 अस्वास्थ्यकर भोजन, फास्ट फूड, संसाधित (Processed) खाद्य, सूखा खाना, मसालेदार खाना, असमय खाना, ज्यादा खाना, मांसाहार की अधिकता, अपच।
👉कम पानी पीना।
👉अनियमित जीवन शैली।
👉 रात्रि को जागना और दिन में सोना।
👉भारी व्यायाम और अधिक चलना।
👉अम्लत्वनाशक (Antacids) का अधिक उपयोग।
👉अवटुग्रंथि (Thyroid), मोटापा, गुर्दे में संक्रमण और UTI।
👉प्राकृतिक आग्रहों/बेगों को रोकना।
👉गर्म और सूखी जगह पर काम करना या रहना।
🌷उपरोक्त कारकों के कारण मूत्र केंद्रित (Urine get Concentrated) हो जाता है, इसकी मात्रा कम हो जाती है और अम्लता (Acidity) बढ़ जाती है जिससे खनिजों का अवसादन (Sedimentation of Minerals) होकर पथरी बन जाती है।
इसका निदान (Diagnosis)
✅ दर्द की जगह को देखकर रक्त परीक्षण, मूत्र परीक्षण, Ultrasound परीक्षण, उदर (Abdomen) का एक्स-रे।
🌷इसका उपचार
✅ आयुर्वेद में पथरी का प्रभावी उपचार और इसकी रोकथाम के विषय में बताया गया है। इसका इलाज दोष असंतुलन के अनुसार किया जाता है। आयुर्वेदिक दवा के उपयोग से लगभग 95% पथरी को बाहर निकाला जा सकता है।
✅ आपातकाल में शल्य चिकित्सा (Surgery) की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक आचार्य सुश्रुत पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने विकट मामलों में पथरी के लिए शल्य प्रक्रिया का उल्लेख किया है।
👉जड़ी बूटियों जैसे पाषाणभेद, गोक्षुर, पुनर्नवा, वरुण, शिगरु का उपयोग किया जाता है।
👉 विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए पंचकर्म प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
🌷आहार
✅ क्या खाए और क्या खाने से परहेज़ करे यह पथरी की रासायनिक संरचना पर निर्भर करता है जैसे Calcium Oxalate पथरी (सबसे आम प्रकार) में काजू, पालक, टमाटर, स्ट्रॉबेरी, सपोटा, बीट आदि से परहेज़ करना चाहिए। Uric Acid पथरी में मांस, अंडों, दालों आदि से परहेज़ करना चाहिए।
✅ गेहूं, बाजरा, दालें, हरी मटर, बेसन, मूंग दाल, पुराने चावल, कुल्थी, राजमा, मशरूम, करेला, हरी मिर्च, आंवला, पपीता, आम, सेब, ऐश लौकी, अंगूर, अनार, अमरूद, भिंडी, तुलसी आदि को आहार में शामिल करना चाहिए।
✅ गर्म/गुनगुना पानी और छाछ पीना चाहिए।
✅ दूध, दूध से बने पदार्थ, चाय, कॉफी, अंडे, हरी सब्जियां, मांसाहार, ठंडे पानी से परहेज करें।
🌷घरेलू उपचार
👉 नींबू के रस को शहद के साथ दिन में 3-4 बार पिएं।
👉 अलोवेरा जूस + हल्दी।
👉 तुलसी के पत्तों का रस को शहद के साथ (1 चम्मच दोनों) सुबह शाम लें।
👉 तरबूज का रस, नारियल पानी।
👉 केले के तने का रस।
👉 2 अंजीर पानी में उबालकर ले।
योग
👉 वरुणासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तान, पवनमुक्त आसन, उत्तानपादासन, भुजंगासन, ऊँट मुद्रा आदि।